Saturday 27 February, 2010


सुन रे ओह श्याम आ जाना मोसे खेलन फाग
खेलेंगे दोनों मिलके खूब होरी
करूंगी प्रेम पुष्प बरसात तोपे जाउंगी बलिहारी
तुम रंगना मोको अपने रंग में इस कदर
के दूजा कोई रंग चढ़ न पाए
करें चाहे कोई लाख यतन
श्याम रंग में ही मन रंग जाए
तुम भिगोना मुझे अपनी प्रेम पिचकारी से
रंग जाना अपने नाम की मस्ती में श्याम
होरी का हैं त्यौहार मनाना मो संग श्याम
आना श्याम कर रही हु तेरा इंतज़ार
आना श्याम मोहे अपने रंग में रंग जाना श्याम

Friday 26 February, 2010


ओह मेरे मोहन
तुझसे बहुत सी बातें करने को मन चाहता हैं
तेरे रास मण्डल में शामिल होने को जी चाहता हैं
तेरी सुन प्यारी बंसी की तान
आज फिर थिरकने को जी चाहता हैं
तेरे चरण कमलो में पड़े पुष्पों को छूने का जी चाहता हैं
तेरी प्यारी प्यारी बातो को सुनने को जी चाहता हैं
तेरे संग होरी खेलन का जी चाहता हैं
तुम पे प्रेम पुष्प वर्षा करने को जी चाहता हैं
पर जब सामने तुम आते हो, नजाने क्या हो जाता हैं
जी सब चाहता हैं,पर सब भूल जाता हैं
कुछ भी कहने करने के असमर्थ हो जाती हु
बस तुझसे निगाह न हटे,यही दिल चाहता हैं

Thursday 25 February, 2010


कल रात श्याम तू सपने में मेरे आया था
बड़ी हँस हँस कर तू कर रहा था मुझसे बात
तेरी बातो ने मेरा मन हर्षाया था
लबो पे खिल गयी थी मुस्कान भी
पर आँख खुलते ही नजाने कहा तू भाग गया
जाने कहा चिप बैठा तू मेरी सरकार
क्यों तू इतना तरसाता रहता हैं?
तेरे दर्शनों को व्याकुल नैनों को
क्यों तू इतना तडपता रहता हैं?
अब फाग पे न करियो जरा भी आनाकानी
मो संग फाग खेलन चले आना
प्रेम पुष्प वर्षा मैं करू तोपे
और तुम देख देख हर्षाना
श्याम चले आना

Wednesday 24 February, 2010


हे मेरे माधव,हे मेरे मुरारी,करुना के पुँज,दयासागर,दीनहितकारी
बृजराज कन्हैया, माखनचोर, मधुसूदन, मेरे बनवारी
शोभा तेरी बरनी न जाए,आँख हटे न तुझसे मेरे बनवारी
चरण कमलो में तेरे नुपुर सोहावे,
तेरे नुपुर के घुंघरू संग राधा जू के नाचे
लाल गुलाबी चरण तेरे,इन चरणों पे बलिहार हैं जग सारा
यह चरण बृज में घूमत फिरत,लुटावे प्यार अपना सारा
गोपीया इन चरणों की धूल की प्यासी
जहा जहा जाए कन्हैया पाछे भागे गोपिया सारी
जहा मिल जाए चरण रज तेरी वहा ही बैठ जाए गोपिकाएं सारी
इन चरणों की तो शोभा कही न जाए
सारे शब्द मिलकर भी इन चरणों की शोभा में एक न बन पाए
यह तेरे चरण ओ कान्हा,बड़े मनोहारी हैं
ओ कान्हा हम इन चरणों में ही खोये रहे बस
यही विनती हमारी हैं

Tuesday 23 February, 2010

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मेरे माधव मेरे श्याम सुन्दर
कृपा कर दो करुना के समुन्द्र
पूरे जग में होरी का मच रहा शोर
तेरे भक्त तुझे देख देख
देखो कैसे हो रहे भाव विभोर
अब तो दिखा दो इक झलक ओ मेरे प्यारे
तेरे दर्शनों को आतुर हैं
तेरे प्रेमी,तेरे दर्शनों के प्यासे सारे
तेरे आने की आस मन में अमय बैठे हैं
तू आए और अपने रंग में रंग जाए
इसी बात की आस तेरे प्रेमी मन में लगाये बैठे हैं
अब न करियो तनिक भी देर
होरी खेलन मो संग आ जईयो
मेरे बाँकेबिहारी, मेरे मनमोहन प्यारे

Monday 22 February, 2010



तेरी छवि पे मैं बलिहारी
तेरी हर अदा लगे मोहे प्यारी
तेरी मधुर मधुर बातें मधुसूदन
हैं सारे जग से न्यारी
तेरे नाम में ही सारी ख़ुशी
आनंद हैं आनन्दकंद बनवारी
तुझ में ही सच्चा आनन्द
तू ही प्रेम तू ही श्याम
तू ही सच्चिदानंद घनश्याम
अब के खेलेंगे तो संग फाग
फाग खेलन आना मो संग श्याम
हरि दरबार में मचेगी बड़ी धूम
हम तो खेरेंगे तो संग होरी झूम झूम

Sunday 21 February, 2010

मेरे कान्हा पता हैं न तुझे
मैं रोज तुझे ही बुलाती हु
एक ही ख्वाहिश करती हु
के मेरी साँस साँस में तेरा नाम हो
हर जर्रे में, हवाओ में
वृक्षों में, लताओं में
बादलो में, पृथ्वी के कण कण में
मुझे बस तू ही नजर आये
तेरा ही गुणगान गाती रहू
तुझे ही श्याम मैं मनाती रहू
हरदम आँसू बहा बहा तुझे रिझाती रहू
और श्याम श्याम गाते गाते
श्याम मय हो जाऊ,मैं श्याम तेरी हो जाऊ

ओह मेरे कान्हा!
क्या कहू क्या न कहू?
क्या करू क्या न करू?
क्या सही क्या गलत?
क्या अछा क्या बुरा?
कुछ भी समझ न पाती हू
बस मैं तो तेरी दीवानी
तेरी ही रजा से चलना चाहती हू
जैसे भी तेरी हो इच्छा
वैसा ही तू मुझसे करवाना
मुझे श्यामसुन्दर अपनी दीवानी बनाना
मुझे बना तू कठपुतली अपने हाथो की
जैसी हो मर्जी वैसे तू नचाना
डोर थामना मेरी अपने हाथो
जिस विध चाहो वैसे नचाना
बस मोहे अपना बनाना अपने दर्शन करवाना
श्याम जल्दी आ जाना

Wednesday 17 February, 2010



ओह कान्हा मेरे प्यारे मुझको अपना बना ले
चरणों की रज बना ले ,ओह कान्हा दर्शन अपने करा दे
मन मेरा व्याकुल हैं रहता,दिल करता तुमसे पुकार हैं
हटा दो पर्दा तेरे मेरे बीच का,दिखा दो दर्शन अपना घनश्याम रे
अब देरी न लगाना,मेरे नीलमणि,श्याम प्यारे
इन आँखों से जल्दी पर्दा हटाना मेरे प्यारे
अपने प्यारे प्यारे दर्शन करवाना मेरे प्यारे
हर समय खेलते लुका छिपी का खेल हो
इस बार लुक छिप छोड़
मेरी आँखों की पट्टी हटाना मेरे साँवरे
मुझे अपने प्यारे दरस करवाना मेरे साँवरे
संग मुझे अपने गोलोक लेजाना मेरे साँवरे

Monday 15 February, 2010

सुन मोहन मेरे,मेरी पुकार
करती हु विनय मै तुमसे नाथ
सुनो मोहन मेरे,मेरी पुकार
दरस प्यासी तोहे पुकारें
दर्शन दो घनश्याम
दिल मेरा तुम बिन चैन न पावे
कछु नही भावे,याद सतावे
बैरन बंसी,बड़ी याद आवे
तुम बिन कछु न सुहावे
सुन मोहन मेरे,मेरी पुकार
मेरी ख़ामोशी समझो मेरे नाथ
क्या कहू मैं तुमसे
अब इस दिल का हाल
तुम तो जानत ही हो सब श्याम
अब तनिक भी देर न लगाओ
श्याम आ जाओ,श्याम आ जाओ

Saturday 13 February, 2010

जाने क्या अब हमे मनमोहन होने लगा हैं
हर दम हर पल बस तेरा ही ख्याल सा होने लगा हैं
क्यों हर पल याद तेरी आने लगी हैं
क्यों जिया तेरे नाम बिना चैन इक पल न पाता हैं
क्यों बस तेरा ही नाम मोहे सोहाता हैं
जिस बात में तेरी बात न हो
क्यों हर वो बात मुझे भाती नही
क्यों तेरी तस्वीरो को निहारते रहना
अब मेरी इक आदत सी बन गयी हैं
क्यों मैं तुझमें खोयी सी रहने लगी हु
क्यों मेरा मन व्याकुल सा होने लगा हैं
क्यों जिया तुम बिन तडपता रहता हैं
अब कुछ नजरे-इनायत मुझ पर भी कर दो
हमे साँवरे अब अपना क लो

Friday 12 February, 2010

कैसे मैं तुझे रिझाऊ? कैसे मैं तुझे मनाऊ?
तू ही बोल कैसे तुझे मैं कान्हा कैसे रिझाऊ
अजीब उलझन में डाल देते हो
सामने रहकर छुपे बैठे रहते हो
करती हु कितनी ही तुमसे पुकार
छोड़ो गुस्सा कर दो हमे तुम माफ़
पर जाने क्यों सुनते नही तुम मेरी यह बात
आते तो हो सामने पर छिप क रहते हो बैठे
तुम्ही बताओ? करू कैसे मैं तेरा दीदार
चलो धुन बंसी की सुना दो इक बार
अपना दीवाना बना लो इक बार
पागल बनाओ चाहे बनाओ दीवाना
जो भी बनाओ अपना बनाओ हमे मेरी सरकार
बोल कैसे मैं तुझे रिझाऊ ?